maine khabar padhi ki baccho me koi chandipura namak janleva virus epidemic faila hai,kya karu?चांदीपुरा वायरस संक्रमन कैसे होता है बच्चों के स्वास्थ्य पर इसकाअसर क्या है?

 चांदीपुरा वायरस संक्रमन कैसे होता है और बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका क्या असर होता है?

नमस्कार मित्रों ।

  • आज हम इस ब्लॉग में चांदीपुरा वायरस वायरस के बारे में बात करेंगे।
  • जून 2024 की शुरुआत से, गुजरात में 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कई मामले सामने आए हैं।
  •  31 जुलाई 2024 तक देश में एईएस के 148 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
  •  इसमें गुजरात के 24 जिलों से 140, मध्य प्रदेश से 4, राजस्थान से 3 और महाराष्ट्र में एक मामला सामने आयाहै। 
  • अब तक 60 के करीब बच्चों की अब तक जान चली गई है।


चांदीपुरा और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के जोखिमों को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को अलर्ट किया है।

चंदीपुरा वायरस क्या है?


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चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) की खोज कब हुई?

  • 1965 मे भारत के महाराष्ट्र राज्य के नागपुर के चंडीपुरा गाँव में तेज बुखार के दो मामले के प्रकोप के दौरान हुई थी?


2. इसे भारत के विभिन्न राज्यों में कई एन्सेफलाइटिस महामारी से जोड़ा गया है। 

  • 2003 और 2007 में आंध्र प्रदेश,
  •  2004 में गुजरात,
  • 2007 और 2009 में महाराष्ट्र
  •  और 2015 में ओडिशा। 

मृत्यु दर 

  •  ⁠इसमें 56 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक मृत्यु दर होती है।

वायरस परिवार

  • यह वायरस जीनस वेसिकुलो वायरस, रबडोविरिडे परिवार से संबंधित है और सिंगल स्ट्रेंडेड  आर. एन. ए.(RNA) वायरस है।



close-up of sand fly bitting on skin of a man and sucking blood
 रेत मक्खि (sandfly)


वायरस  के वाहक
 रेत की मक्खियाँ(sandfly)

  • रेत की मक्खियाँ(sandfly) इस वायरस की वाहक हैं;जो काला अजार और जेई(जापानी इंसेफेलाइटिस) के भी वाहक हैं
  • रेत मक्खी के प्रजनन स्थलों में मकान की दरारें , पेड़ों में दरारें. ग्रामीण क्षेत्रों में यह बहुत आम होती हैं ।



Old window with craked wall with slughed out  paint and plaster



चांदीपुरा वायरस के सामान्य नैदानिक ​​लक्षण:

  • 9 महिने से 14 साल की उम्र के बच्चों मे इसकी असर देखने मिलती है।
  •  कम अवधि का उच्च श्रेणी का बुखार । 
  •  उल्टी आना ।
  • परिवर्तित सेंसोरियम ।
  •  सामान्यीकृत  आक्षेप ।
  •  विक्षिप्त मुद्रा ।
  •  ग्रेड 4 कोमा । 
  • तीव्र एन्सेफलाइटिस / एन्सेफैलोपैथीकी ओर ले जाती है।
  • और लक्षण शुरू होने के 48 से 72 घंटों के भीतर मृत्यु हो जाती है।


A mother wearing a face mask comfortingly holds her child on a sofa, showing care and concern





 मृत्यु का कारन

  • ज़्यादातर मृत्यु का कारन– एन्सेफलाइटिस, 
  • तीव्र  रूप में हुई मस्तिष्क में विनाशकारी घटना,
  •  वाहिकाशोथ  के कारन स्पाज़्म या क्षणिक रुकावट का होना है।


Crying baby in a green turban being held indoors on a couch



  • यह बीमारी ब्रेन एडिमा के साथ रेये सिंड्रोम की नकल करती है, लेकिन महत्वपूर्ण अंतर हैं की घाव की जगह उसके मध्य मस्तिष्क धमनी द्वारा आपूर्ति किये गये क्षेत्र में पाया गया।
  • एक रोगज़नक़ वाइरस द्वारा आक्रमण का कोई नैदानिक ​​​​प्रमाण नहीं था. 
  • धमनी की प्रकृति पैथोलॉजी में ऐंठन या क्षणिक रुकावट होने की संभावना थ्रोम्बोएम्बोलिज्म के बजाय वास्कुलाइटिस के कारण है।

सीएसएफ टेस्ट

  • मुख्यरूप से मोत का कारन मस्तिष्क में भयावह तीव्र वास्कूलर  घटना (स्ट्रोक)  का होना है।
  • अधिकांश सीएसएफ में प्लियोसाइटोसिस की कमी और सामान्य प्रोटीन बताता है की ,इन मामलों  में महत्वपूर्ण एपेन्डाइमा का नेक्रोसिसएक शामिल नहीं है।
  • उपलब्ध महामारी विज्ञान के आंकड़े बताते हैं कि यह रोग अधिकतर छिटपुट रूपों में होता है;
  • हालाँकि,प्रकोप पैदा करने की संभावना भी होती है।
  • ⁠यह बीमारी की जांच नियमितरूप से तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के लिए से प्रयोगशाला स्क्रीनिंग मे शामिल नहीं होती है
  • इसलिए,किसी भी एईएस सिंड्रोम के दौरान इस वायरस की भूमिका को समझा नहीं गया है।

 निदान

 Scientist interacts with a device amidst laboratory equipment

नमूने: 

  • सीरम,
  • सी.एस.एफ़.

 एंटीजन डिटेक्शन

  • एलिसा, 
  • आई.एफ.ए.

नमूनों को तुरंत गांधीनगर के जी. बी. आर .सी लैबोरेटरी या पुणे की एन. आई .वी .सेन्टर मे भेजा जाता है।

 पुष्टिकरण परीक्षण 

  • आरटी-पीसीआर द्वारा पीसीआर-जी जीन का जीनोम पता लगाना।

वायरस अलगाव:

  •  सेल कल्चर.

Scientist in a lab coat using a microscope to conducta laboratory tests


 प्रबंधन सहायक

  •  वायुमार्ग
  •  श्वास 
  • परिसंचरण
  • यूग्लाइसेमिक नियंत्रण
  • जब्ती नियंत्रण
  • सेरेब्रल एडिमा के लिए मैनिटोल


 जीवित बचे लोगों में प्रोग्नोसिस बिना किसी बुरे नतीजे  के पूर्ण रिकवरी होता है,  लेकिन यह अत्यधिक घातक है और 72-96 घंटे में मौत हो जाती है 


 ⁠निवारक उपाय


 Person in protective gear fumigating an indoor area



  • कीटनाशक-डीडीटी, 5% मैलाथियान
  • दवाईयुक्त मच्छर जाल
  •  फ्लाई पेपर
  •  पूरी बांह के कपड़े
  •  जल जमाव से बचें
  •  घर और झोपड़ियों में दरारों की मरम्मत
  • क्लिनिकल ट्रायल  में  है वैक्सीन

बच्चों के लिए मच्छर काटने से बचाव के कुछ  तरीके हैं:




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1. नीम का तेल

  • नीम का तेल मच्छरों को दूर रखता है।
  •  बच्चों के एक्सपोज्ड एरियास पर नीम का तेल लगाने से मच्छरों का काटना कम होता है।


2. तुलसी की पत्तियाँ: 

  • तुलसी की पत्तियों को चबाना या पानी में घोल कर उसका उपयोग करने से मच्छरों का काटना कम होता है, क्योंकि मच्छरों को तुलसी की खुशबू पसंद नहीं आती।

3. कपूर का उपयोग:

  •  कपूर की गोलियां या कपूर के टुकड़े को पानी में घोल कर, या कमरे में रखें, इससे मच्छरों का प्रवेश कम होता है।


4. मच्छर जाल और कपड़े:

  •  सोते वक्त, बच्चों के सिर पर मच्छर जाल का उपयोग करें।
  •  कपड़े को पूरी तरह से ढक कर रखने से मच्छरों का प्रवेश नहीं होता।


Happy baby smiling in crib with toys and mosquito netting indoor



5. सिट्रोनेला या लेमनग्रास तेल:

  •  सिट्रोनेला या लेमनग्रास का तेल या मोमबत्ती का इस्तेमाल करने से मच्छरों का प्रवेश कम होता है।
  •  बच्चों के कपड़े या कमरे में इसकी खुशबू फैलाएं।


6. नारियल के टुकड़े:

  •  नारियल के टुकड़े को जला कर या नारियल के तेल का उपयोग कर मच्छरों से बचाव किया जा सकता है।


इन उपायों को नियमित रूप से और सही तरीके से अपनाने से बच्चों को मच्छरों के काटने से बचाया जा सकता है।


आशा करता हु ये ब्लॉग से काफी जानकारी मिलेगी।

आपका कोई सुजाव हो,जरूर साजा करें।

शुक्रिया।

डॉ पारस पटेल

एमबीबीएस डीसीएच

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