नमस्ते दोस्तों।
severe effects of air pollution in india: 2025 में बच्चों के बीच स्वास्थ्य संकट में वृद्धि
भारत में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है, खासकर बच्चों के बीच।
2025 में, स्थिति और भी खराब हो जाएगी, जहरीली हवा छोटे बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों, कमजोर प्रतिरक्षा और विकास संबंधी विकारों में वृद्धि में योगदान देगी।
प्रदूषित हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि दीर्घकालिक संज्ञानात्मक हानि का खतरा बढ़ जाता है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और अगली पीढ़ी के लिए स्वच्छ, सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
इस ब्लॉग मे हम प्रदूषण पर्यावरण पर माता-पिता द्वारा पूछे जाने वाले 10 अवशेष और उनके उत्तर पर चर्चा करेंगे।
Table of Contents
प्रश्न 1. पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ क्या है?severe effects of air pollution in india aur इसके क्या कारण हैं?
पर्यावरण क्या है?
इसमें वायु, भूमि और जल के साथ-साथ मनुष्यों, जीवित प्राणियों, वायु, भूमि और जल, पौधों, सूक्ष्मजीवों और संपत्ति के बीच विद्यमान उनके अंतर्संबंध शामिल हैं।
पर्यावरण प्रदूषक क्या है?
कोई भी तरल, गैसीय या ठोस निकाय जो इस तरह से विद्यमान है कि पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है या होने की संभावना है।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?
पर्यावरण प्रदूषण का मतलब पर्यावरण में किसी भी प्रदूषक का अस्तित्व।
वायु प्रदूषण कई गैसों, कणों, नमी और कुछ निष्क्रिय पदार्थों का मिश्रण है और इसका मुख्य स्रोत उद्योग, कृषि और परिवहन हैं।
प्राथमिक प्रदूषक वायु प्रदूषक हैं जो किसी संसाधन से अविचल रूप से निकलते हैं।
द्वितीयक-व्युत्पन्न प्रदूषक तब उत्पन्न होते हैं जब अन्य प्रदूषक पर्यावरण में रासायनिक रूप से परस्पर क्रिया करते हैं।
ओजोन, NO2 इत्यादि।
अम्लीय वर्षा तब होती है जब सल्फर डाइऑक्साइड या नाइट्रोजन ऑक्साइड पानी के साथ मिल जाते हैं।
severe effects of air pollution in india गंभीर स्थिति बन गयी है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण:
- जीवाश्म ईंधन का दहन
- कार्बन उत्सर्जन
- अनुचित अपशिष्ट निपटान
- उद्योगों से रासायनिक अपशिष्ट का निपटान
- कृषि गतिविधियाँ
- निर्माण गतिविधियाँ
- शहरीकरण (जनसंख्या वृद्धि)
- मानव और पशु श्वास
प्रश्न 2. पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार क्या हैं?जो severe effects of air pollution in india का निर्माण करते है?

प्राकृतिक प्रदूषण:
- यह भूकंप,
- बाढ़,
- जंगल की आग,
- ज्वालामुखी विस्फोट आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण होता है।
मानव निर्मित प्रदूषण:
- जीवाश्म ईंधन के जलने,
- वनों की कटाई,
- औद्योगिकीकरण,
- अधिक जनसंख्या और गहन पशु कृषि जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण होता है।
प्रदूषण के स्रोत:
- वायु प्रदूषण
- भूमि और मिट्टी का प्रदूषण
- प्रकाश प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदूषण
- थर्मल प्रदूषण
- जल प्रदूषण
आंतरिक प्रदूषण:
आंतरिक वायु प्रदूषण हानिकारक पदार्थों द्वारा आंतरिक वायु प्रदूषण के जीर्ण होने के कारण होता है।
अव्यक्त प्रदूषक, उदाहरण के लिए, कोयला, लकड़ी, गोबर के उपले, खाना पकाने के लिए मिट्टी का तेल जलाना और मच्छर भगाने वाली दवाओं का उपयोग करना और बंद खिड़कियों और दरवाजों के साथ अगरबत्ती/धूप जलाना।
इसके अतिरिक्त, धूल के कण, तिलचट्टे, कवक और जानवरों के बाल भी घर के अंदर वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं।
इससे severe effects of air pollution in india का निर्माण हो रहा है।
बाहरी प्रदूषण:
बाहरी प्रदूषण मुख्य रूप से इंजीनियरिंग संयंत्रों और वाहनों द्वारा जीवाश्म ईंधन के प्रज्वलन के कारण होता है।
इससे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, पार्टिकुलेट मैटर और अन्य प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं।
इससे severe effects of air pollution in india का निर्माण होता है।
प्रश्न 3. क्या पर्यावरण प्रदूषण मेरे रहने के स्थान पर एक महत्वपूर्ण समस्या है?

जल-संबंधी संक्रमण प्राथमिक सार्वजनिक चिंता है
(Water-borne )जल जनित:
- हैजा
- पोलियोमाइलाइटिस
- डायरिया
- राउंडवॉर्म
- आंत्र ज्वर (टाइफाइड)
- व्हिपवॉर्म
- हेपेटाइटिस ए
- क्रिप्टोस्पोरिडियम
(Water-washed)जल-धुले रोग:
• खुजली
• टाइफस
• ट्रेकोमा
• जूँ संक्रमण
(Water-based)जल-आधारित रोग:
- शिस्टोसोमियासिस
- ड्रैकुनकुलियासिस (गिनी-वर्म)
- लेप्टोस्पायरोसिस
(water-related insect
vectors) जल-संबंधी कीट वाहकों द्वारा प्रसारित रोग:
• मलेरिया
• ओन्कोसेरसियासिस
• पीला बुखार
• डेंगू
• फाइलेरियासिस
• अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस
• लीशमैनियासिस
• चिकनगुनिया
वायु प्रदूषण:
- वायु प्रदूषण का स्तर किसी विशेष स्थान पर वायु की गुणवत्ता की जाँच करके मापा जाता है।
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) वायु की गुणवत्ता को मापता है।
- यह एक थर्मामीटर की तरह काम करता है जो हवा में प्रदूषकों की मात्रा में 0 से 500 डिग्री प्रस्तुति परिवर्तनों पर चलता है।
- यह प्रदूषकों की एक श्रृंखला के बहुआयामी वायु उत्कृष्टता आँकड़ों को एक एकल संख्या और रंग में परिवर्तित करता है।
वायु उत्कृष्टता की सीमा आठ प्रदूषकोंपर आधारित है। इनमें शामिल हैं:
- अमोनिया (NH3)
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)
- ओजोन (O3)
- पार्टिकुलेट मैटर (आकार <10 µm) या (PM-10)
- पार्टिकुलेट मैटर (आकार <2.5 µm) या (PM-2.5)
- सल्फर डाइऑक्साइड
- लेड
AQI मान और उनसे संबंधित स्वास्थ्य प्रभाव तालिका 1 में उल्लिखित हैं।
Severe Effects of Air Pollution in India
गुणवत्ता AQI संभावित स्वास्थ्य प्रभाव
- अच्छा 0–50 न्यूनतम प्रभाव
- संतोषजनक 51–100 संवेदनशील लोगों को सांस लेने में थोड़ी तकलीफ़
- मध्यम 101–200 फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ़
- खराब 201–300 लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले ज़्यादातर लोगों को सांस लेने में तकलीफ
- बहुत खराब 301–400 लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ़
- गंभीर 401–500
स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन। वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश
प्रदूषण की निगरानी कौन करता है?
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वैज्ञानिक विंग के रूप में प्रदूषण प्रबंधन के क्षेत्र में देश में शीर्ष संस्था है।
- प्रत्येक राज्य का अपना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड है।
क्या दिन के किसी विशेष समय या किसी विशेष मौसम के साथ प्रदूषकों के स्तर में कोई बदलाव होता है?
- दिन में, सुबह जल्दी और देर शाम को हवा की गुणवत्ता खराब होती है, खासकर महानगरों- नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई में।
मेट्रो सबसे अच्छी वायु गुणवत्ता सबसे खराब वायु गुणवत्ता
- दिल्ली शाम 4 बजे सुबह 7 बजे
- मुंबई शाम 5 बजे सुबह 8 बजे
- बेंगलुरु मध्यरात्रि 7 बजे सुबह
- चेन्नई दोपहर 3 बजे सुबह 7 बजे

- पीएम-2.5 और पीएम-10 की मानक दैनिक असमानता दो शिखरों के साथ द्विविध आवंटन प्रदर्शित करती है, जिन्हें सभी क्षेत्रों में सुबह और शाम को मॉनिटर किया जाता है।
- सुबह (~08:00-10:00 बजे) का चरम धूमन के कारण और यातायात उत्सर्जन के कारण होता है, जबकि शाम और रात का विस्तार घरेलू उत्सर्जन से जुड़ा होता है।
- दोपहर के बाद के घंटों (~15:00-16:00 बजे) के दौरान सभी परिवेशों में पीएम का सबसे कम स्तर अनुभव किया गया।
- हालांकि, दक्षिण में अवलोकन स्थलों पर आधी रात के बाद सबसे कम मात्रा का मूल्य प्रदर्शित होता है।
मौसमी भिन्नता:
- आमतौर पर सर्दियों में सबसे खराब। स्थानीय कारक प्रभावित करते हैं, जैसा कि हमारे देश में, दिवाली के बाद के समय में प्रदूषण खराब हो जाता है।
इससे severe effects of air pollution in india का निर्माण होता है।
- अस्थमा के बारे मे और पढ़ें।
https://paras-digital.com/can-asthma-be-cured-permanentlyhope-or-reality/
प्रश्न. 4 पर्यावरणीय वायु प्रदूषण मेरे बच्चे को कैसे प्रभावित करता है?Severe Effects of Air Pollution in India

वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियाँ
घर में:
घर को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए।
इससे severe effects of air pollution in india का निर्माण ना हो।
धूल और धुएं से अस्थमा के दौरे और एलर्जी हो सकती है।
घर के अंदर हवा की गुणवत्ता में सुधार करें – स्वच्छ ईंधन, सौर ऊर्जा, बिजली, अगरबत्ती और मच्छर भगाने वाली दवाओं से बचें, घर की धूल झाड़ने के बजाय पोछा लगाएं।
घर के निर्माण और नवीनीकरण के दौरान वेंटिलेशन को बेहतर बनाएं।
निर्माण में “वास्तु” का उपयोग करें (वास्तुकला का हमारा पारंपरिक तरीका “वैदिक” गणित पर आधारित है)।
घर के अंदर पौधे लगाएं और उन्हें धूप में रखें और सप्ताह में एक बार पानी की ट्रे हटा दें।
उच्च दक्षता वाले पार्टिकुलेट एयर (HEPA)-फिटेड एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें [फर्नीचर और दीवार से कोई बाधा नहीं होनी चाहिए और स्वच्छ वायु वितरण दर (CADR) अधिक होनी चाहिए]।
बाहरी वायु प्रदूषण से कैसे बचें?
खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों में बाहरी गतिविधियों को सीमित करें।
खराब वायु गुणवत्ता के आधार पर मास्क पहनें।
भारी यातायात और प्रमुख चौराहों से बचें।
अस्थमा के रोगियों को बाहर निकलने से 15 मिनट पहले अपने चिकित्सक द्वारा निर्धारित इनहेलर का उपयोग करना चाहिए।
इससे severe effects of air pollution in india का असर कम होता है।
अन्य उपाय:
- सुरक्षित जल: पानी का निस्पंदन और कीटाणुशोधन
- स्वच्छता का उच्च स्तर
- खतरनाक पदार्थों के संपर्क में न आना सुनिश्चित करना
- खराब जल प्रबंधन और भंडारण,
- वनों की कटाई और जैव विविधता के नुकसान के कारण मच्छर जनित बीमारियाँ।
सामुदायिक स्तर के उपाय:
- सार्वजनिक परिवहन साइकिल का उपयोग
- कारपूल
- पैदल चलना
- मोटर वाहन को निष्क्रिय अवस्था में न खड़ा करना
- खुले में जलाने से बचना
- रसायनों का बेहतर भंडारण और सुरक्षित उपयोग
- सभी प्रकार के प्रदूषण के विरुद्ध सतर्कता
- पर्यावरण प्रदूषण,
- वन संरक्षण को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए पैरवी बढ़ाना!
इससे severe effects of air pollution in india का निर्माण कम होता है।
प्रश्न .6 पर्यावरण प्रदूषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके दुष्प्रभावों को कम करने में हम कैसे मदद कर सकते हैं?

यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- निजी वाहनों से बचें और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
- उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
- प्लास्टिक बैग का उपयोग न करें।
- जंगल की आग और धुएँ को कम करें।
- अच्छे वेंटिलेशन वाले घर बनाएँ।
और severe effects of air pollution in india को कम करें।
- चिमनियों के लिए फ़िल्टर का उपयोग करें।
- पटाखों के उपयोग से बचें।
- वनरोपण करें।
- इनडोर पौधों का उपयोग करें और उन्हें धूप में रखें तथा सप्ताह में एक बार पानी की ट्रे हटाएँ।
- अपने घर के सामने चार लोगों के परिवार के लिए एक पेड़ लगाएँ और उसकी देखभाल करें।
जल गुणवत्ता में सुधार:
- जल स्रोतों के उजागर होते ही उनके रिसाव को ठीक करना और सामुदायिक सुविधाओं में स्क्वाट फ्लश शौचालय लगाना।
- जहाँ पानी देना ज़रूरी हो वहाँ सावधानी से पानी का इस्तेमाल करना और रात में या सुबह जल्दी पानी देना।
- उर्वरकों और कीट विकर्षकों का अत्यधिक इस्तेमाल न करना क्योंकि अतिरिक्त मात्रा ज़मीन या सतही पानी में रिस सकती है।
अपशिष्ट न्यूनीकरण:
- कम सामग्री का उपयोग करें।
- एक भिन्न कौशल, प्रक्रिया या माल का उपयोग करें जो कम अपव्यय पैदा करता है या कम मात्रा में बिजली का उपयोग करता है।
- अपशिष्ट का पुनः उपयोग करें।
इससे severe effects of air pollution in india का असर कम होता है।
- ऐसे अपशिष्ट का पुनर्चक्रण करें जिसका पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 7. ध्वनि प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव क्या हैं?
क्या लाउडस्पीकर के उपयोग पर कोई प्रतिबंध है?Severe Effects of Air Pollution in India

ध्वनि प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव
- नवजात शिशु में उच्च आवृत्ति बहरापन
- समय से पहले जन्म
- अंतर्गर्भाशयी विकास मंदता
- नींद की गड़बड़ी
झुंझलाहट, - सिरदर्द,
- कार्य कुशलता में कमी और स्कूल में खराब प्रदर्शन
अधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त किए बिना लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जाएगा और रात में (रात 10 बजे से शाम 6 बजे के बीच) इसका उपयोग नहीं किया जाएगा। साथ ही, प्रबंधन के सिद्धांतों को लागू करने और ध्वनि प्रदूषण को समायोजित करने के लिए एजेंसियों को तय किया गया है।
- औद्योगिक स्तर पर ऑटोमोबाइल, घरेलू उपकरणों और निर्माण उपकरणों के लिए शोर सीमा पर सहमति बन गई है।
- निर्माता, पटाखे और कोयला खदानों के लिए प्रतिमान विकसित और सूचित किए गए हैं।
इससे severe effects of air pollution in india का असर कम होता है।
- ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में धार्मिक नेताओं को उचित शिक्षा।
- शोर रहित समुदायों को याद दिलाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करना।
- शोर प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर समाज में उचित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है क्योंकि भारतीय शहर शोर प्रदूषण के मामले में उच्च स्थान पर हैं।।
प्रश्न 8 मेरे बच्चे स्कूल बस (डीजल वाहन) से स्कूल जाते हैं।Severe Effects of Air Pollution in India
क्या मुझे इसकी चिंता करनी चाहिए?

- डीजल के निकास में छोटे कण, विषैले प्रदूषक होते हैं – पेट्रोल से 1,400 गुना ज़्यादा।
- डीजल के कणों में लिपटे पराग 50 गुना ज़्यादा एलर्जेनिक होते हैं।
- कम सल्फर वाले डीजल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन अगर संभव हो तो इसे इलेक्ट्रिक बसों में बदला जा सकता है।
- लोडिंग/अनलोडिंग क्षेत्रों में इंजन बंद कर दें।
- बस चालक शिक्षा: ट्रैफ़िक में होने पर दरवाज़े/खिड़कियाँ बंद रखें, स्मार्ट ड्राइविंग अभ्यास करें (तेज़ गति से बचें और स्थिर गति बनाए रखें)।
- स्वच्छ वाहन मानक, नियमित निरीक्षण और रखरखाव।
- सक्रिय स्कूल यात्रा को बढ़ावा दें: स्कूल पैदल या साइकिल से जाएँ।
प्रश्न 9 कोरोनावायरस रोग 2019 (COVID-19) अपशिष्ट
(मास्क, सैनिटाइज़र और बोतलें) का पर्यावरण प्रदूषण पर अपेक्षित प्रभाव क्या है?

प्लास्टिक:
- डिस्पोजेबल सिंगल यूज प्लास्टिक [मास्क, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), दस्ताने], सैनिटाइज़र, कीटाणुनाशक और प्लास्टिक की बोतलों के उपयोग में वृद्धि के कारण कचरे में वृद्धि हुई है।
- महामारी के दौरान रीसाइक्लिंग में कमी
आर्थिक गिरावट हरित ऊर्जा में निवेश को कम कर सकती है। - महामारी से पहले प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण को पहले से ही नुकसान पहुँचा रहा था।
- N95 मास्क प्लास्टिक से बने होते हैं।
- ऐसे पदार्थों को खुले क्षेत्रों में फेंकने से पर्यावरण (मिट्टी और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र) में प्लास्टिक की “कभी न खत्म होने वाली कहानी” शुरू हो जाएगी।
- जलीय परिवेश में, यह मच्छरों के लिए प्रजनन भूमि प्रदान करता है।
- जल प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है और जलीय जानवरों द्वारा निगला जाता है।
- प्लास्टिक के योजक और/या अवशोषित संदूषक निकल जाते हैं और मिट्टी और पानी की गुणवत्ता कम हो जाती है।
कीटाणुनाशक:
- ब्लीच और पानी से पोछा लगाने पर हाइपोक्लोरस एसिड गैस बनती है, जो त्वचा में जलन पैदा करती है, और नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड गैस श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बनती है।
- कीटाणुनाशक स्प्रे volatile organic compounds छोड़ते हैं जो श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
- अध्ययनों से पता चलता है कि कीटाणुनाशकों के बढ़ते उपयोग से स्वास्थ्य कर्मियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और घरेलू सेटिंग में अस्थमा की समस्या बढ़ गई है।
तत्काल चिंताएँ:
- बच्चों द्वारा शराब का आकस्मिक सेवन, जिससे विषाक्तता हो सकती है।
- जब वे फूटस्टैंड स्प्रे पर कदम रखते हैं ,बच्चों की आँखों के साथ आकस्मिक संपर्क, जिससे आँखों को नुकसान पहुँचता है।
- अपर्याप्त प्रतीक्षा अवधि के कारण जलन, जिसमें गर्मी या चिंगारी शामिल हो सकती है।
- सैनिटाइज़र और कीटाणुनाशकों के उपयोग से घर के अंदर प्रदूषण।
प्रश्न .10 सफाई, सैनिटाइजिंग और कीटाणुशोधन उत्पादों के इनडोर वायु गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए कौन सी प्रक्रियाएं अपनाई जा सकती हैं?
- अपने घर के अंदर की हवा की उत्कृष्टता को बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका घर के अंदर प्रदूषण की नींव को कम करना है।
- हवा को साफ करने वाली मशीनों या ओजोन पैदा करने वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल न करें।
- ओजोन एक ऐसी गैस है जो मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
- अपनी सेवा में सुगंधित या खुशबूदार सामान खासकर एयर फ्रेशनर के इस्तेमाल से दूर रहें।
- सफाई उत्पादों को कभी न मिलाएं।
- सफाई के बाद सतहों को पानी से अच्छी तरह से धो लें।
- केवल तभी और जहाँ आवश्यक हो, स्टरलाइज़ करें।
- वेंटिलेशन इनडोर वायु गुणवत्ता को ठीक करने का एक अनिवार्य हिस्सा है।
निष्कर्ष:
- बच्चों के भविष्य के लिए स्वच्छ हवा ज़रूरी है।
- https://www.unicef.org/stories/air-pollution-threat-childrens-rights
- Severe Effects of Air Pollution in India
- वर्ष 2025 में भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुका है, विशेष रूप से बच्चों के लिए।
- बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी रोग, अस्थमा, फेफड़ों की कमजोरी और प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
- यदि समय रहते इस समस्या पर काबू नहीं पाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों का स्वास्थ्य और विकास गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
- सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक को मिलकर प्रदूषण नियंत्रण के ठोस उपाय अपनाने होंगे।
- हरियाली बढ़ाना, स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना और जागरूकता फैलाना ही बच्चों के स्वस्थ भविष्य की कुंजी है।
- स्वच्छ हवा केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि हर बच्चे का मौलिक अधिकार है।